लग्न में राहु
जन्मकुंडली में लग्नस्थ राहु के जातकों को अक्सर व्यर्थ बकवास या अधिक बोलने वाला देखा गया है, ऐसे जातक प्रायः अनैतिक कार्यों में रूचि रखते हैं तथा स्वभाव से झगडालू एवं हठी होते हैं।
लग्नस्थ राहु जातक को परिवार का मुख्य सदस्य तो बनाता है परन्तु कपट व्यवहार में कुशल भी बनाता है।
ऐसा जातक अपने शत्रुओं पर सदा विजय प्राप्त करता है।दूसरों की पद प्रतिष्ठा का अपने लाभ के लिए उचित प्रयोग में लाना इन जातकों का गुण है।लग्नस्थ राहु के जातक स्वार्थी व परिश्रम से दूर भागने वाले होते हैं,यानी कि आलस्य की अधिकता होती है।काम से जी चुराना प्रवर्ति में होते है।
सकारात्मक लग्नस्थ राहु का जातक गहन चिंतन तथा धन संचय में सक्षम माना जाता है। ऐसे जातक छोटी सुख सुविधाओं में ही खुश रहते हैं। लग्नस्थ राहु के जातक प्रायः अपनी आजीविका के सम्बन्ध में चिंतित रहते है क्योंकि उनको वह अपनी योग्यता के अनुरूप नहीं लगती इसलिए ऐसे जातक कष्ट में रहते हैं।
लग्न में बैठा राहु प्रायः ऐसे जातकों के बाल एवं नाखून कड़े एवं रूखे होते हैं।नेत्रों में दया नहीं होती,शरीर के उपरी भाग जैसे सर, आँख नाक, कान , मुंह छाती पेट आदि के रोग होने की संभावना रहती है.
यदि किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो लग्नस्थ राहु जातक को पत्नी एवं पुत्र सुख में कमी देता है।जातक स्वभाव से झगडालू, मित्र हीन तथा कामी होता है।
लग्नस्थ राहु शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ने पर जातक को आकर्षक, स्वाबलंबी तथा अपने प्रयास से धन कमाने वाला बनाता है।ऐसा जातक स्वभाव से धार्मिक तथा परोपकारी होता है।वैज्ञानिक विचारधारा अपनाने वाला ऐसा जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करता है।
मेष कर्क या सिंह राशि का राहु जातक को सुख एवं वैभव देता है।
लग्नस्थ राहु पर यदि किसी गृह की शुभ दृष्टि हो तो जातक सुख सुविधाओं से युक्त होता है।
राहु की आवश्यकताएं बड़ी होती हैं फलस्वरूप ऐसे जातकों की इच्छाएं एवं महत्वाकांक्षाएं भी समान्य से अधिक होती हैं. जिनके लग्न में राहु स्थित हो ऐसे जातक अपने जीवन साथी से संतुष्ट नहीं रहते अतः इनको प्रायः विवाहेतर प्रणय संबंधों में लिप्त पाया जाता है।
सिंह लग्न का राहु जातक को उच्चाधिकार एवं धन सम्पदा देता है। साथ ही ऐसा जातक स्वभाव से दुष्ट , कामी तथा अपने करीबियों से छल करने वाला होता है।
मेष , वृषभ तथा कर्क का राहु जातक को साहसी, उद्विग्न मन परन्तु स्वस्थ शरीर देता है. ऐसे जातको के नेत्र लालिमा लिए होते हैं .
वृषभ तथा मिथुन राशि का राहु उच्च माना गया है जो जातक को राज सम्मान दिलाता है. इसके विपरीत अन्य राशियों का राहु जातक का सरकार से मतभेद कराता है ।ऐसे जातको की आजीविका में प्रायः रोग के कारण बाधा आती है।
मेष, वृष, मिथुन, कर्क सिंह कन्या व मकर का राहु लग्न में राजयोग बनाता है. जो जातक को उदार दानी , यशस्वी एवं वैभव संपन्न बनाती है।
धनु लग्न का राहु जातक को आत्म निष्ठ तथा एकाकी बनाता है तथा सामाजिक दायित्वों से उसकी रूचि कम करता है।
वृषभ , कर्क, कन्या, मकर या मीन राशि का राहु जातक को सभी के कार्यों में दखलंदाजी करने की आदत देता है।
वायु तत्व राशि (मिथुन, तुला या कुम्भ) का लग्नस्थ राहु जातक को दूसरों के कार्यों में बुराई खोजने और नकारात्मक विश्लेषण की बुरी आदत देता है।ऐसे जातक प्रायः अपनी बुद्धि का दुरूपयोग दूसरों के साथ वैर बढाने में करते हैं।
राहु के विभिन्न प्रभाव उसके दृष्टि संबंधों,युतियों और अन्य ग्रहों के साथ भाव-भावस्थ के हिसाब से गणना करके फलित करना उचित होता है।
राहु की मूल प्रवृत्ति भ्रमित करने की होती है।
जब भी फलित करे समस्त भाव विचार करके जानना चाहिए।
आपका
व्यास जी महाराज।