राहु ग्रह बनाता है चतुर राजनेता
✍🏻राजनीति एक ऐसा क्षेत्र बनता जा रहा है, जहाँ कम परिश्रम में भरपूर पैसा व प्रसिद्धि दोनों ही प्राप्त होते हैं। ढेरों सुख-सुविधाएँ अलग से मिलती ही है। और मजा ये कि इसमें प्रवेश के लिए किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता की भी जरूरत नहीं होती।राजनीति में जाने के लिए भी कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों का प्रबल होना जरूरी है।
१.राहु को राजनीति का ग्रह माना जाता है यदि इसका दशम भाव से संबंध हो या यह स्वयं दशम में हो तो व्यक्ति धूर्त राजनीति करता है। अनेक तिकड़मों और विवादों में फँसकर भी अपना वर्चस्व कायम रखता है। राहु यदि उच्च का होकर लग्न से संबंध रखता हो तब भी व्यक्ति चालाक होता है।
२. राजनीति के लिए दूसरा ग्रह है गुरु- गुरु यदि उच्च का होकर दशम से संबंध करें, या दशम को देखें तो व्यक्ति बुद्धि के बल पर अपना स्थान बनाता है। ये व्यक्ति जन साधारण के मन में अपना स्थान बनाते हैं। चालाकी की नहीं वरन् तर्कशील, सत्य प्रधान राजनीति करते हैं।
३:- बुध के प्रबल होने पर दशम से संबंध रखने पर व्यक्ति अच्छा वक्ता होता है। बुध गुरु दोनों प्रबल होने पर वाणी में ओज व विद्वत्ता का समन्वय होता है। ऐसे व्यक्तियों की भाषण कला लोकप्रिय होती है। उसी के बल पर वे जनमानस में अपना स्थान बनाते हैं।४:- हमेशा की तरह राजनीति में भी चमकने के लिए सूर्य का प्रबल होना जरूरी है। सूर्य लग्न, चतुर्थ, नवम या दशम में हो तो व्यक्ति उच्च पद को आसीन होता है, राजनीतिक पटल पर उभरता है और लोगों के मन पर राज करता है।
५:- यदि कुंडली में कारक ग्रह शनि हो (वृषभ, तुला लग्न में) तो शनि का मजबूत होना जरूरी है। शनि स्थायित्व, स्थिरता देता है। शनि प्रधान ऐसे व्यक्तियों को धर्म व न्याय का साथ देना चाहिए, सत्य की राजनीति करना चाहिए अन्यथा शनि का कोप उन्हें धरातल पर ला फेंक सकता है….!!
६:-ऐसा देखा गया है कि जब लग्न या लग्नेश पर या दशम या दशमेश पर छाया ग्रहों का यानि राहु केतु का प्रभाव हो तो व्यक्ति या तो स्वयं विधायक या सांसद बनता है।या उसके उच्च राजनीतिक संबंध होते है।
यह योग अनुभूत है।
आपका
व्यास जी महाराज